tag:blogger.com,1999:blog-60464167982678640262024-03-14T01:25:05.620+05:30How to get free subscriber fast | 10way to get more free YouTube subscriber How to get free YouTube subscriber, how to get 1k subscriber easy , get YouTube view on 5 videos , how to increase youtube subscriber, free YouTube subscriber best site to get free YouTube subscriber, increase youtube subscriber free, how to get 1000 subscriber on YouTube SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-32063314998108058802023-09-07T18:16:00.003+05:302023-09-07T18:16:39.057+05:30WHAT IS SEO / SEO क्या है<h1 style="text-align: left;"> <b>SEO क्या है और कैसे यूज करें/ what is SEO and how to use </b></h1><p><br /></p><p>SEO (Search Engine Optimization) का मतलब होता है "सर्च इंजन अनुकूलन" और यह एक तकनीकी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य यह है कि आपकी वेबसाइट या वेब पृष्ठ खोज इंजनों (जैसे कि Google) में ऊपर आए और अधिक वेब यातायात प्राप्त करें। यहां एक SEO का स्टेप-बाय-स्टेप गाइड है:</p><p><br /></p><h2 style="text-align: left;">1. **कीवर्ड अनुसंधन (Keyword Research):**</h2><p> - पहला कदम है सही कीवर्ड्स का चयन करना। आपकी वेबसाइट या पृष्ठ से संबंधित कीवर्ड्स का अनुसंधन करें जिन्हें लोग खोजते हैं।</p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh1zO-mMtoKJ3vnBt9_Q4648vJyvvRrSBvN0L7GCcmwAzvJmn2MxLDFaR15TEXgiIHdjAzf9Q8K00ONiwQH9R5-aqKF2EJ7cvfN2ABuvLfrmJcsaDQwFlUNMN4TIwKcntHu2CIwErihfyH-3darNoPJKs2JFVha9v-PBHuVS-ks-TCI4RjjZbnd851CB7s/s1152/DreamShaper_v7_Decide_what_type_of_content_you_want_to_create_2.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1152" data-original-width="768" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh1zO-mMtoKJ3vnBt9_Q4648vJyvvRrSBvN0L7GCcmwAzvJmn2MxLDFaR15TEXgiIHdjAzf9Q8K00ONiwQH9R5-aqKF2EJ7cvfN2ABuvLfrmJcsaDQwFlUNMN4TIwKcntHu2CIwErihfyH-3darNoPJKs2JFVha9v-PBHuVS-ks-TCI4RjjZbnd851CB7s/s320/DreamShaper_v7_Decide_what_type_of_content_you_want_to_create_2.jpg" width="213" /></a></div><br /><p><br /></p><h2 style="text-align: left;">2. **स्थिति अनुकूलन (On-Page Optimization):**</h2><p> - स्थिति अनुकूलन में आपको मुख्य कीवर्ड्स को वेबसाइट के विभिन्न हिस्सों में जोड़ना होता है, जैसे कि शीर्षक, मेटा विवरण, और सामग्री।</p><p><br /></p><h2 style="text-align: left;">3. **आंचलिक SEO (Local SEO):**</h2><p> - यदि आपका व्यवसाय स्थानीय है, तो स्थानीय SEO तकनीकों का उपयोग करके आपके व्यवसाय को स्थानीय खोज नतीजों में प्रमोट कर सकते हैं।</p><p><br /></p><h2 style="text-align: left;">4. **बैकलिंक निर्माण (Backlink Building):**</h2><p> - अच्छे गुणवत्ता वाले वेबसाइट्स से बैकलिंक प्राप्त करें, जिससे आपकी वेबसाइट का मान बढ़े।</p><p><br /></p><h2 style="text-align: left;">5. **मोबाइल और साइट की गति (Mobile and Site Speed):**</h2><p> - आपकी वेबसाइट को मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए अनुकूलित और गतिशील बनाना महत्वपूर्ण है।</p><p><br /></p><h2 style="text-align: left;">6. **नियमित और गुणवत्ता वाली सामग्री (Quality Content):**</h2><p> - अच्छी गुणवत्ता वाली सामग्री तैयार करें जो आपके निश्चित कीवर्ड्स के साथ मेल खाती है।</p><p><br /></p><h2 style="text-align: left;">7. **सोशल मीडिया (Social Media):**</h2><p> - सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का उपयोग करके आप अपने वेबसाइट को प्रमोट कर सकते हैं और ट्रैफिक बढ़ा सकते हैं।</p><h2 style="text-align: left;"><br />8. **मॉनिटरिंग और प्रगति (Monitoring and Progress):**</h2><p> - आपके SEO प्रयासों की प्रगति को नियमित रूप से मॉनिटर करें और आवश्यकता होने पर और बेहतरीन परिणाम प्राप्त करने के लिए उन्हें समायोजित करें।</p><p><br /></p><p>ध्यान दें कि SEO एक लम्बा और नियमित प्रक्रिया है और परिणाम दिखने में समय लग सकता है। SEO की अच्छी जानकारी और नियमित नवाचारों के साथ, आप अपनी वेबसाइट को खोज इंजनों के लिए अधिक दिखा सकते हैं।</p><p><br /></p><p><br /></p><p><span style="color: #666666; font-family: inherit;"><b>Tags :- what is SEO, how to use seo, seo kya hai, seo ko use kaise karin, increase wesite, </b></span></p><p><br /></p>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-40575617232973060432023-09-05T00:16:00.002+05:302023-09-05T09:44:06.567+05:30Unsung heroes: mom and dad <p><br /></p><p><br /></p><p> "<i><b><u><span style="font-family: Mulish; font-size: large;">Unsung Heroes: Mom and Dad</span></u></b></i>"</p><p>(In hindi scroll in bottom)</p><p><br /></p><p>My father may be the poorest in the world but he is the richest in the house, </p><p>My mother is illiterate but knows everything </p><p><br /></p><p>My father works hard in the sun to run the house. And my mom works hard at home to support us.</p><p><br /></p><p><br /></p><p>School time, whatever money you take from father, there was no problem. </p><p><br /></p><p>But today I realized that I had to leave home and earn money by living alone. </p><p>The money that I used to fight with my father, how did he earn</p><p><br /></p><p>When I used to say to my mother, I will not eat food today.</p><p> because i will bring something from outside.</p><p> But today mom, please cook me food just once,</p><p> I will definitely not refuse.</p><p><br /></p><p>How nice it was to take money from my father and go out with friends But now I feel like going to Papa</p><p><br /></p><p><br /></p><p>The speaker will leave the house and go cries to come home today</p><p><br /></p><p>spending time with friends, Today I want to spend a moment with my parents</p><p><br /></p><p>I'll grow up soon, then I'll be alone the speaker, longs for family today</p><p><br /></p><p>Mom and Dad, I will never fight again. just stay with you</p><p><br /></p><p>I will sleep on the bed, The speaker Today I long to sleep on the ground</p><p><br /></p><p>12 midnight sleeper wake up at 10 am today longs to sleep early</p><p><br /></p><p>mom dad i love you can't live without you but i'm too tough I can't even say this to you</p><p><br /></p><p>Those friends promised to stay together Today even those friends are not able to call together</p><p><br /></p><p>sleeping with friends Mummy papa, today I feel like sleeping in your lap</p><p><br /></p><p>I'm sorry, I can't write any more Mom Dad I love you</p><p><br /></p><p> (<b><u>Please share</u></b> )</p><p><br /></p><p>"गुमनाम नायक: माँ और पिताजी" </p><p><br /></p><p>मेरे पिता भले ही दुनिया में सबसे गरीब हों लेकिन वह घर में सबसे अमीर हैं,</p><p><br /></p><p> मेरी माँ अनपढ़ है लेकिन सब कुछ जानती है </p><p><br /></p><p>मेरे पिता घर चलाने के लिए धूप में कड़ी मेहनत करते हैं। </p><p>और मेरी माँ हमारा समर्थन करने के लिए घर पर कड़ी मेहनत करती है। </p><p><br /></p><p>स्कूल टाइम में पापा से जो भी पैसे ले लो, कोई दिक्कत नहीं थी. लेकिन आज मुझे घर छोड़ना होगा और अकेले रहकर पैसा कमाना होगा। </p><p><br /></p><p>मुझे एहसास हुआ कि </p><p>जो पैसा मैं अपने पिता से लड़कर लेता था, वह उन्होंने कहां से कमाया </p><p><br /></p><p>जब मैं मां से कहता था आज खाना नहीं खाऊंगी.</p><p> क्योंकि मैं बाहर से कुछ लाऊंगा. </p><p>लेकिन आज माँ, मेरे लिए सिर्फ एक बार खाना बना देना, मैं पक्का मना नहीं करूंगा.</p><p><br /></p><p>पापा से पैसे लेकर दोस्तों के साथ घूमना कितना अच्छा लगता था</p><p> लेकिन अब पापा के पास जाने का मन हो रहा है</p><p><br /></p><p> दोस्तों के साथ समय बिताने वाला, आज मैं अपने माता-पिता के साथ एक पल बिताना चाहता हूं.</p><p>मैं जल्द ही बड़ा हो जाऊँगा, फिर मैं अकेला रहूँगा, कहने वाला </p><p>आज परिवार के लिए तरस रहा हूँ </p><p><br /></p><p>माँ और पिताजी, मैं फिर कभी नहीं लड़ूंगा। बस तुम्हारे साथ रहूंगा</p><p> पलंग पर सोऊंगा, बोलने वाला आज जमीन पर सोने के लिए मजबूर है </p><p><br /></p><p>रात 12 बजे सोने वाला सुबह 10 बजे उठने वाला, आज जल्दी सोने की चाहत है</p><p><br /></p><p> माँ पापा मैं आपसे प्यार करता हूँ आपके बिना नहीं रह सकता लेकिन मैं बहुत सख्त हूँ मैं आपसे ये बात कह भी नहीं सकता</p><p><br /></p><p> जिन दोस्तों ने साथ रहने का वादा किया था आज वो दोस्त भी एक साथ फोन नहीं कर पाते </p><p>दोस्तों के साथ सोने वाला </p><p>मम्मी पापा, आज आपकी गोद में सोने का मन हो रहा है </p><p><br /></p><p>मुझे क्षमा करें, </p><p>मैं और अधिक नहीं लिख सकता </p><p>मम्मी पापा मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ</p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p><p><br /></p>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-87901439612614352012023-09-04T21:08:00.001+05:302023-09-04T21:13:54.989+05:30मातृभूमि के रक्षक<p><br /></p><p>शीर्षक: "मातृभूमि के रक्षक"</p><p><br /></p><p>अध्याय 1: कर्तव्य की पुकार</p><p><br /></p><p>दिल्ली के गर्मीलों में, एक युवक नामक अर्जुन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में अपने अध्ययन में डूबा हुआ था। उसके परिवार में सैन्य जवानों की दीक्षांत की बड़ी पंख्ति थी, और देश की सेवा की पुकार उसके रक्त में गहरी थी। अर्जुन के पिता एक दिग्गज सेना जनरल थे, और उसके दादी-नानी ने वह युद्धों में भारत के इतिहास को रचने वाले थे।</p><p><br /></p><p>एक स्पष्ट सुबह, जब अर्जुन ने अपने शौभाग्यिक समय पर पैरेड ग्राउंड पर खड़े होकर अपनी शानदार वर्दी में खड़े होकर खड़ा रहा, उसके कमांडिंग ऑफिसर ने आदेश दिया, और कैडेट्स ने ध्यान दिया। यह वो दिन था जिसका वे सभी इंतजार कर रहे थे - दिन जब उन्हें उनका पोस्टिंग मिलेगा। अर्जुन का दिल धड़क रहा था, जैसे ही उसने अपना पर्चा प्राप्त किया। हिलते हुए हाथों से, उसने उसे फाड़ दिया। उसको अलाइट करने के बाद, उसे अलाइट किया गया। उसका काम था एलीट पैराच्यूट रेजिमेंट के साथ, जिन्हें उनके साहसी और डेयरिंग ऑपरेशंस के लिए जाना जाता था।</p><p><br /></p><p>अध्याय 2: भाईचार</p><p><br /></p><p>पैराच्यूट रेजिमेंट में प्रशिक्षण कठिन था। अर्जुन और उसके साथी कैडेट्स ने उन्हें उनकी सीमा तक पहुँचाई। लेकिन उनके बीच एक भाईचारे का बंधन बन गया। उन्होंने एक-दूसरे पर अपने जीवनों की बाजुकिनामा किया, जानते हुए कि किसी दिन, उन्हें शायद युद्धभूमि पर अपनी जान देनी पड़ेगी।</p><p><br /></p><p>महीनों में सालों में बदल गए, अर्जुन ने अपने आप को एक असाधारण सैनिक के रूप में साबित किया। उसका अनुशासन, साहस, और नेतृत्व कौशल उसे उसके अधिकारियों के इज्जतदारी और उसके साथियों की प्रशंसा कमाई। उसमें वह गर्व का गहरा आभास था कि वह अपने परिवार के इतिहास को आगे बढ़ा रहा था और अपने देश की सेवा कर रहा था।</p><p><br /></p><p>अध्याय 3: नियम का पालन करना</p><p><br /></p><p>अर्ज</p><p><br /></p><p>ुन का पहला युद्ध जब आया, तो वो आईसी स्लोप्स के बर्फीले पासों पर आया, दुनिया के सबसे उच्च और संकटपूर्ण युद्धभूमि में से एक है। उन्हें और उनकी इकाई को बाधाओं से रक्षा करने का काम था और वे सीमा पर चोरों को रोकने के लिए निर्दिष्ट थे। यहां की कठिनाइयों में भरपूर थी, जैसे कि ठंडी तापमान और बर्फबारी का संवादना होता था।</p><p><br /></p><p>एक रात, पैट्रोल पर होते समय, अर्जुन की संघ को सीमा छूने करने की कोशिश कर रहे दुश्मन सैनिकों का सामना हुआ। एक जीवनघातक युद्ध शुरू हुआ। अर्जुन की प्रशिक्षण उसके जीवन में प्राधिकृत हो गई जब वह निर्देश देते हुए अपने साथियों का संचालन करता रहा। लड़ाई के अर्धकुंड के बीच, उन्होंने विजयी हो जाते हैं, लेकिन हानि के बिना नहीं।</p><p><br /></p><p>अध्याय 4: प्यार और बलिदान</p><p><br /></p><p>सेना के जीवन की कठिनाइयों के बीच, अर्जुन ने अपने बचपन के दोस्त मीरा के साथ पत्रों का आनंद लिया। उनकी दोस्ती लव में बदल गई और दूरी के बावजूद, उनका बंधन हर दिन बढ़ता गया।</p><p><br /></p><p>एक शाम, जब अर्जुन अपनी जनरवी के कम बिजली में अपने बंक के तहत बत्ती की दिमागी बात कर रहा था, उसने जाना कि उसकी इकाई को उपन्यास में बेघर कर दिया गया था, पूर्वोत्तर की जंगलों के घने जंगलों में, जहां उपद्रवी बल इस क्षेत्र की स्थिरता को खतरे में डाल रहे थे। यह मिशन अत्यंत खतरनाक था, और सफलता शांति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण था।</p><p><br /></p><p>अध्याय 5: अंतिम बलिदान</p><p><br /></p><p>अर्जुन और उसकी इकाई अपने मिशन पर चले गए, जंगल के दिल में। वे चुपचाप बढ़े, अपने प्रशिक्षण और बुद्धि पर निर्भर किया। जब वे उपद्रवी शिविर के पास पहुँचे, तो उन्हें कड़ी संघर्ष का सामना करना पड़ा।</p><p><br /></p><p>लड़ाई के बीच, अर्जुन की इकाई ने गतिविद आक्रमण किया। गोलियाँ चलीं और ग्रेनेड फटीं। अर्जुन ने बहादुरी से लड़ा, लेकिन जब उस पर कुचला गया, तो उसे तंग हो गई। दुश्मन के बी</p><p><br /></p><p>च बड़ी जंग थी, लेकिन अर्जुन के घाव घातक साबित हुए। उनके द्वारा दिया गया निर्देश जारी था, उनके इकाई के सदस्यों को सफलतापूर्वक अपने मिशन को पूरा करने में सहायक हो गया।</p><p><br /></p><p>जब युद्ध बढ़ते बढ़ते थम गया, तो अर्जुन के घाव घातक साबित हो गए। उनके आखिरी सांसों में, उन्होंने नीचे मीरा का नाम बुलवाया, जानते हुए कि वह अपने देश के लिए सब कुछ देने के लिए किया है।</p><p><br /></p><p>अध्याय 6: एक हीरो की विरासत</p><p><br /></p><p>अर्जुन की बहादुरी और बलिदान की खबरें तेजी से फैल गई। उसे पोस्टमूस्ली परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया, भारत की सर्वोच्च सैन्य सम्मान। मीरा, हानि से अफसोस करते हुए, उसके हानि को जानती हुई, उसे बचपन के प्यार की याद दिलाने में आराम पाया।</p><p><br /></p><p>अर्जुन की कहानी भारत की बहादुर सेना के बहादुर पुरुषों और महिलाओं को दिये जाने वाले अकेले नहीं है, और याद दिलाती है कि जैसे कि अर्जुन वाणिज्यिक देश के आत्मा में रहते हैं, उनकी किंवदंति उनको उनके चाहने वालों की यादों में ही नहीं, एक कृतज्ञ देश के दिलों में जीतती है।</p><p><br /></p><p>समाप्त</p><p><br /></p><p>"मातृभूमि के रक्षक" एक श्रद्धांजलि है, जो भारतीय सेना के बहादुर पुरुषों और महिलाओं के नाम है, जो अपने देश की रक्षा के लिए निःस्वार्थी रूप से खड़े होते हैं, और याद दिलाती है कि अर्जुन जैसे नायक उनके राष्ट्र के आत्मा में ही जीते हैं।</p>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-42167073630743645782023-09-04T13:14:00.003+05:302023-09-12T21:57:33.695+05:30How to get free YouTube subscriber / 10 way to increase youtube subscriber 2023<h2 style="text-align: left;"><span style="font-family: inherit;"><a href="https://amzn.eu/d/aIZa0IF" rel="nofollow" target="_blank"> </a> <u><span style="font-size: x-large;">"How to get 1k subscribe fast: 10 way to increase youtube subscriber</span></u>"</span></h2><p><br /></p><p><br /></p><p><span style="font-family: courier;">Increasing the growth and visibility of your YouTube channel requires a combination of consistent effort, quality content, and effective strategies. Here are some tips to help you grow your YouTube channel:</span></p><p><br /></p><p>1.<span style="color: #ffa400;"><i><u> **High-Quality Content is Key:**</u></i></span></p><p> - <span style="font-family: arial;">Create engaging and valuable content that caters to your target audience's interests and needs. </span></p><p><span style="font-family: arial;"> - Invest in good video and audio quality to provide a professional viewing experience.</span></p><p><br /></p><p>2.<span style="color: #f1c232; font-family: georgia;"><u><b><i> **Consistent Upload Schedule:**. </i></b></u></span><span style="font-family: arial;">-</span><span style="font-family: arial;"> </span><span style="font-family: arial;">S</span></p><p><span style="font-family: arial;">tick to a regular upload schedule so that your audience knows when to expect new content. Consistency builds viewer loyalty</span>.</p><p><br /></p><p>3. <span style="color: #6aa84f; font-family: Mulish;"><b><i><u>**Engage with Your Audience:**</u></i></b></span></p><p> <span style="font-family: arial;"> - Respond to comments on your videos to foster a sense of community and encourage more engagement.</span></p><p><span style="font-family: arial;"> - Ask questions in your videos to prompt viewer interaction.</span></p><p><br /></p><p>4<span style="color: #990000; font-family: georgia;">. <b><i><u>**Optimize Video Titles and Descriptions:**</u></i></b></span></p><p><span style="color: #990000; font-family: georgia;"><b><i><u><br /></u></i></b></span></p><p style="text-align: left;"> - <span style="font-family: arial;">write a right keyword, for increase youtube views</span></p><p><span style="font-family: arial;"> - Use descriptive and keyword-rich titles for your videos.</span></p><p><span style="font-family: arial;"> - Write detailed video descriptions that include relevant keywords and provide additional context.</span></p><p><br /></p><p>5. <span style="color: #f1c232; font-family: georgia;"><b><u><i>**Eye-Catching Thumbnails:**</i></u></b></span></p><p> <span style="font-family: arial;"> - Create visually appealing thumbnails that accurately represent the content of your video. Thumbnails play a crucial role in attracting clicks.</span></p><p><br /></p><p>6.<span style="color: #674ea7; font-family: georgia;"><u><b><i> **Keyword Research:**</i></b></u></span></p><p> <span style="font-family: arial;"> - Conduct keyword research to identify relevant keywords for your niche. Use these keywords in your video titles, descriptions, and tags.</span></p><p><br /></p><p>7. <span style="color: #6aa84f;"><b><i><u>**Promote on Social Media:**</u></i></b></span></p><p> <span style="font-family: arial;"> - Share your videos on various social media platforms to reach a broader audience.</span></p><p><span style="font-family: arial;"> - Join relevant online communities or forums and share your content where appropriate.</span></p><p><br /></p><p>8. <span style="color: #e69138; font-family: georgia;"><b><i><u>**Collaborations and Cross-Promotions:**</u></i></b></span></p><p> <span style="font-family: arial;"> - Collaborate with other YouTubers in your niche to tap into their audiences.</span></p><p><span style="font-family: arial;"> - Consider cross-promotions with creators who share a similar target audience.</span></p><p><br /></p><p>9.<span style="font-family: georgia;"><b><i><u> <span style="color: #741b47;">**Engage with Trends:**</span></u></i></b></span></p><p> <span style="font-family: arial;">- Stay updated with trends and create content around popular topics or challenges within your niche.</span></p><p><br /></p><p>10. <span style="color: #3d85c6; font-family: georgia;"><i><u><b>**Use YouTube Analytics:**</b></u></i></span></p><p> <span style="font-family: arial;">- Analyze your YouTube Analytics to understand your audience's behavior. This data can help you tailor your content strategy.</span></p><p><br /></p><p>11. <b><i><u><span style="color: #fcff01;">**Create Playlists:**</span></u></i></b></p><p> <span style="font-family: arial;">- Organize your videos into playlists to keep viewers engaged and encourage them to watch more of your content.</span></p><p><br /></p><p>12. <b><i><u><span style="color: #ffa400;">**Thematic Series:**</span></u></i></b></p><p> <span style="font-family: arial;"> - Consider creating thematic series of videos that keep viewers coming back for more.</span></p><p><br /></p><p>13. <b><i><u><span style="color: #6aa84f;">**Experiment and Adapt:**</span></u></i></b></p><p> <span style="font-family: arial;"> - Don't be afraid to experiment with different types of content and formats to see what resonates best with your audience.</span></p><p><br /></p><p>14. <b><i><u><span style="color: #0b5394;">**Patience and Persistence:**</span></u></i></b></p><p> -<span style="font-family: arial;"> Building a successful YouTube channel takes time. Be patient and persistent in your efforts.</span></p><p><br /></p><p>15<span style="color: #04ff00;">. <i><b><u>**Optimize for Mobile:**</u></b></i></span></p><p> - <span style="font-family: arial;">Ensure that your videos are mobile-friendly, as many viewers watch YouTube on smartphones.</span></p><p><br /></p><p><span style="font-family: times;">Remember that growing a YouTube channel is a marathon, not a sprint. It may take time to see significant growth, but by consistently delivering quality content and engaging with your audience, you can steadily increase your channel's visibility and subscriber count over time.</span></p><p><a href="Advance information" rel="nofollow" target="_blank">Advance information</a><br /></p><p><span style="font-family: times;"><br /></span></p><p><span style="font-family: times;"><br /></span></p><p><span style="font-family: times;">For more information about, increase youtube channel ya grow YouTube view , comment </span></p>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-87460084090411337382022-01-30T22:06:00.000+05:302022-01-30T22:06:15.988+05:30SIM CARD KESE KAAM KARTA HAI <p> राम राम दोस्तों। अपनी जिंदगी में हमने सिम कार्ड का इस्तमाल तो किया ही होगा पर हमारे दिमाग में कभी न कभी तो ये आया होगा की सिम कार्ड काम कैसे काम करता है। तो चलिए जानते है . </p><p><br /></p><h1 style="text-align: left;"><u>सिम कार्ड किया है.</u></h1><div>सिम का फुल फॉर्म होता है सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल (SIM. Subscriber Identity Module)</div><div><br /></div><div>सिम कार्ड एक इलेक्ट्रॉनिक चिप है जो की मोबाइल मैं डालते ही मोबाइल से कनेक्ट हो जाती है फिर ये सिम कार्ड अपनी कंपनी के GSM नेटवर्क से कनेक्ट हो जाता है </div><div>जब हम अपने फोन से किसी के पास कॉल करते हैं तब GSM नेटवर्क फोन की पहचान करता है और फिर सैटलाइट की मदद से डायल किया गया नंबर की पहचान कर के हमें उस नंबर से कनेक्ट करता है। इसी तरहा हम कॉल इंटरनेट मैसेज इत्यादि का यूज अपने फोन मैं करते हैं</div><div><br /></div><h2 style="text-align: left;"><u>सिम कितने प्रकार की होती हैं</u></h2><div>सिम कार्ड 3 तरह के होते हैं </div><div>Standard sim card</div><div>Micro sim card</div><div>Nano SIM card </div><div><br /></div><div>जब आप सिम लेने शॉप पर जाते हैं सिम लेने के बाद जब आप सिम देखते हैं तो वो सिम कार्ड तीन हिस्सों में कती होती है </div><div><br /></div><div><b>Standard sim card</b>. वो होती है जो की हम पहले यूज करते थे अपने कीपैड मोबाइलमैंैै।</div><div><br /></div><div><b>Miro sim card.</b> standard सिम का ही हिस्सा होता है जिसे हम एंड्रॉयड फोन मैं यूज करते हैं इसका यूज भी अब कम हो चुका है क्योंकि अब एंड्रॉयड फोन मैं जो सिम उसे होता है वो है nano sim</div><div><br /></div><div><b>Nano sim card</b>. नैनो सिम कार्ड भी इसी का भाग होता है जिसे और छोटा करके एंड्रॉयड फोन मैं लगाया जाता है जो की अब जादातर फोन मैं यूज कििया जाता है</div><div><br /></div><h2 style="text-align: left;">GSM/ CDMA किया है</h2><div>GSM और CDMA को समझने का आसान तरीका है</div><div><br /></div><div><u style="font-weight: bold;">GSM (Global System for Mobile). </u> इस सिम को आप कभी भी निकल सकते हैं और किसी दुसरे फोन मैं डाल सकते हैं।</div><div><br /></div><div><b>CDMA (Code Division Multiple Access). </b>इस सिम को मोबाइल से निकालना संभव नहीं हैं </div><div><br /></div><div><br /></div><div>इस आर्टिकल को शेयर करें ताकि ये जानकारी आपके दोस्तों, परिवार वालो को भी मिले </div><div><br /></div><div>राम राम जी सभी को </div><div><br /></div><div></div>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-21948142596815308222022-01-29T21:00:00.001+05:302022-01-29T21:04:27.335+05:30रानी अवंतीबाई लोधी जी<h1 style="text-align: left;"><u><i>रानी अवंतीबाई लोधी</i></u></h1><div><b>आपने अक्सर देखा होगा की हम जब अपने गांव या कहीं घूमने जाते हैं तब रानी अवंतीबाई लोधी कॉलेज स्कूल्स, दिखाई देते हैं पर हम ये नही जानते की रानी अवंतीबाई लोधी जी है कोन तो चलिए जानते है। </b></div><div><i><br /></i></div><h2 style="text-align: left;"><i><u>वीरांगना अवंतीबाई लोधी जी की कहानी.</u></i></h2><div>ऐसी ही 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की एक वीरांगना हैं रानी अवंतीबाई लोधी, जिनके योगदान को हमेशा से इतिहासकारों ने कोई अहम स्थान न देकर नाइंसाफी की है। आज देश में बहुत से लोग हैं जो इनके बारे में जानते भी नहीं है। लेकिन इनका योगदान भी 1857 के स्वाधीनता संग्राम की अग्रणी नेता वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से कम नहीं है, लेकिन इतिहासकारों की पिछड़ा और दलित विरोधी मानसिकता ने हमेशा से इनके बलिदान और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को नजरअंदाज किया है। वीरांगना अवंतीबाई लोधी आज भी लोक काव्यों की नायिका के रूप में हमें राष्ट्र के निर्माण, शौर्य, बलिदान व देशभक्ति की प्रेरणा प्रदान कर रही हैं। हमारे देश की सरकारों ने चाहे केंद्र की जितनी सरकारे रही हैं या राज्यों की जितनी सरकारें रही हैं उनके द्वारा हमेशा से वीरांगना अवंतीबाई लोधी की उपेक्षा होती रही है।</div><div><br /></div><h2 style="text-align: left;"><u>कहां हुआ था उनका जन्म.</u></h2><div>वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी का जन्म पिछड़े वर्ग के लोधी राजपूत समुदाय में 16 अगस्त 1831 को ग्राम मनकेहणी, जिला सिवनी के जमींदार राव जुझार सिंह के यहां हुआ था। वीरांगना अवंतीबाई लोधी की शिक्षा दीक्षा मनकेहणी ग्राम में ही हुई। अपने बचपन में ही इस कन्या ने तलवारबाजी और घुड़सवारी करना सीख लिया था। लोग इस बाल कन्या की तलवारबाजी और घुड़सवारी को देखकर आश्चर्यचकित होते थे। वीरांगना अवंतीबाई बाल्यकाल से ही बड़ी वीर और साहसी थीं। जैसे-जैसे वीरांगना अवंतीबाई बड़ी होती गयीं वैसे-वैसे उनकी वीरता के किस्से आसपास के क्षेत्र में फैलने लगे।</div><div><u><br /></u></div><h2 style="text-align: left;"><u>विवाह के बाद की कहानी</u></h2><div>पिता जुझार सिंह ने अपनी कन्या अवंतीबाई लोधी का सजातीय लोधी राजपूतों की रामगढ़ रियासत, जिला मण्डला के राजकुमार से करने का निश्चय किया। जुझार सिंह की इस साहसी बेटी का रिश्ता रामगढ़ के राजा लक्ष्मण सिंह ने अपने पुत्र राजकुमार विक्रमादित्य सिंह के लिए स्वीकार कर लिया। इसके बाद जुझार सिंह की ये साहसी कन्या रामगढ़ रियासत की कुलवधु बनी। सन् 1850 में रामगढ़ रियासत के राजा और वीरांगना अवंतीबाई लोधी के ससुर लक्ष्मण सिंह की मृत्यु हो गई और राजकुमार विक्रमादित्य सिंह का रामगढ़ रियासत के राजा के रूप में राजतिलक किया गया, लेकिन कुछ सालों बाद राजा विक्रमादित्य सिंह अस्वस्थ्य रहने लगे। उनके दोनों पुत्र अमान सिंह और शेर सिंह अभी छोटे थे, अतः राज्य का सारा भार रानी अवंतीबाई लोधी के कन्धों पर आ गया। वीरांगना अवंतीबाई लोधी ने वीरांगना झाँसी की रानी की तरह ही अपने पति विक्रमादित्य के अस्वस्थ होने पर ऐसी दशा में राज्य कार्य संभाल कर अपनी सुयोग्यता का परिचय दिया और अंग्रेजों की चूलें हिला कर रख दीं।</div><div><br /></div><div><br /></div><h2 style="text-align: left;"><u>अंग्रेजों की थी ये नीति</u></h2><div>इस समय लॉर्ड डलहौजी भारत में ब्रिटिश राज का गवर्नर जनरल था, लॉर्ड डलहौजी का प्रशासन चलाने का तरीका साम्राज्यवाद से प्रेरित था। उसके काल मे राज्य विस्तार का काम अपने चरम पर था। भारत में लॉर्ड डलहौजी की साम्राज्यवादी नीतियों और उसकी राज्य हड़प नीति की वजह से देश की रियासतों में हल्ला मचा हुआ था। लॉर्ड डलहौजी की राज्य हड़प नीति के अन्तर्गत जिस रियासत का कोई स्वाभाविक बालिग उत्तराधिकारी नहीं होता था, ब्रिटिश सरकार उसे अपने अधीन कर रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य में उसका विलय कर लेती थी। इसके अलावा इस हड़प नीति के अंतर्गत डलहौजी ने यह निर्णय लिया कि जिन भारतीय शासकों ने कंपनी के साथ मित्रता की है अथवा जिन शासकों के राज्य ब्रिटिश सरकार के अधीन है और उन शासकों के यदि कोई पुत्र नहीं है तो वह बिना अंग्रेजी हुकूमत कि आज्ञा के किसी को गोद नहीं ले सकता। अपनी राज्य हड़प नीति के तहत डलहौजी कानपुर, झांसी, नागपुर, सतारा, जैतपुर, सम्बलपुर, उदयपुर, करौली इत्यादि रियासतों को हड़प चुका था।</div><div><br /></div><div>रामगढ़ की इस राजनैतिक स्थिति का पता जब अंग्रेजी सरकार को लगा तो उन्होंने रामगढ़ रियासत को ‘कोर्ट ऑफ वार्डस’ के अधीन कर लिया और शासन प्रबन्ध के लिए एक तहसीलदार को नियुक्त कर दिया। रामगढ़ के राज परिवार को पेन्शन दे दी गई। इस घटना से रानी वीरांगना अवंतीबाई लोधी काफी दुखी हुईं, परन्तु वह अपमान का घूंट पीकर रह गईं। रानी उचित अवसर की तलाश करने लगी। मई 1857 में अस्वस्थता के कारण राजा विक्रमादित्य सिंह का स्वर्गवास हो गया। सन 1857 में जब देश में स्वतंत्रता संग्राम छिड़ा तो क्रान्तिकारियों का सन्देश रामगढ़ भी पहुंचा। रानी तो अंग्रेजों से पहले से ही जली भुनी बैठी थीं, क्योंकि उनका राज्य भी झांसी और अन्य राज्यों की तरह कोर्ट कर लिया गया था और अंग्रेज रेजिमेंट उनके समस्त कार्यों पर निगाह रखे हुई थी। रानी ने अपनी ओर से क्रान्ति का सन्देश देने के लिए अपने आसपास के सभी राजाओं और प्रमुख जमींदारों को चिट्ठी के साथ कांच की चूड़ियां भिजवाईं, उस चिट्ठी में लिखा था- ‘‘देश की रक्षा करने के लिए या तो कमर कसो या चूड़ी पहनकर घर में बैठो तुम्हें धर्म ईमान की सौगंध जो इस कागज का सही पता बैरी को दो।’’</div><div><br /></div><h2 style="text-align: left;"><u>अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुई लड़ाई</u></h2><div>सभी देश भक्त राजाओं और जमींदारों ने रानी के साहस और शौर्य की बड़ी सराहना की और उनकी योजनानुसार अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का झंडा खड़ा कर दिया। जगह-जगह गुप्त सभाएं कर देश में सर्वत्र क्रान्ति की ज्वाला फैला दी। इस बीच कुछ विश्वासघाती लोगों की वजह से रानी के प्रमुख सहयोगी नेताओं को अंग्रेजों द्वारा मत्यु-दंड दे दिया गया। रानी इससे काफी दुखी हुईं। रानी ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और रानी ने अपने राज्य से कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अधिकारियों को भगा दिया और राज्य एवं क्रान्ति की बागडोर अपने हाथों में ले ली। ऐसे में वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी मध्य भारत की क्रान्ति की प्रमुख नेता के रूप में उभरी। रानी के विद्रोह की खबर जबलपुर के कमिश्नर को दी गई तो वह आगबबूला हो उठा। उसने रानी को आदेश दिया कि वह मण्डला के डिप्टी कलेक्टर से भेंट कर लें। अंग्रेज पदाधिकारियों से मिलने की बजाय रानी ने युद्ध की तैयारी शुरू कर दी।</div><div><br /></div><div>उसने रामगढ़ के किले की मरम्मत करा कर उसे और मजबूत एवं सुदृढ़ बनवाया। मध्य भारत के विद्रोही नेता रानी के नेतृत्व में एकजुट होने लगे। अंग्रेज रानी और मध्य भारत के इस विद्रोह से चिंतित हो उठे। वीरांगना अवंतीबाई लोधी ने अपने साथियों के सहयोग से हमला बोल कर घुघरी, रामनगर, बिछिया इत्यादि क्षेत्रों से अंग्रेजी राज का सफाया कर दिया। इसके पश्चात् रानी ने मण्डला पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। इस युध्द में वारांगना अवंतीबाई लोधी की मजबूत क्रान्तिकारी सेना और अंग्रेजी सेना में जोरदार मुठभेड़ें हुई। इस युद्ध में अंग्रेजों को धूल चटा दी गई।</div><div>फिर हुआ युद्ध</div><div>मण्डला का डिप्टी कमिशनर वाडिंगटन लम्बे समय से रानी से अपने अपमान का बदला लेने को आतुर था और वह हर हाल में अपनी पराजय का बदला चुकाना चाहता था। इसके बाद वाडिंगटन ने अपनी सेना को पुनर्गठित कर रामगढ़ के किले पर हमला बोल दिया। जिसमे रीवा नरेश की सेना भी अंग्रेजों का साथ दे रही थी। रानी अवंतीबाई की सेना अंग्रेजों की सेना के मुकाबले कमजोर थी, लेकिन फिर भी वीर सैनिकों ने साहसी वीरांगना अवंतीबाई लोधी के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना का जमकर मुकाबला किया। लेकिन ब्रिटिश सेना संख्या बल एवं युद्ध सामग्री की तुलना में रानी की सेना से कई गुना बलशाली थी अतः स्थिति को भांपते हुए रानी ने किले के बाहर निकल कर देवहारगढ़ की पहाडियों की तरफ प्रस्थान किया। रानी के रामगढ़ छोड़ देने के बाद अंगे्रजी सेना ने रामगढ़ के किले बुरी तरह ध्वस्त कर दिया और खूब लूटपाट की। इसके बाद अंग्रेजी सेना रानी का पता लगाती हुई देवहार गढ़ की पहाडियों के निकट पहुंची, यहाँ पर रानी ने अपने सैनिकों के साथ पहले से ही मोर्चा जमा रखा था। अंग्रेजो ने रानी के पास आत्मसमर्पण का सन्देश भिजवाया, लेकिन रानी ने सन्देश को अस्वीकार करते हुए सन्देश भिजवाया कि लड़ते-लड़ते बेशक मरना पड़े लेकिन अंग्रेजों के भार से दबूंगी नहीं।</div><div><br /></div><h2 style="text-align: left;"><u>देश के लिए दिया बलिदान</u></h2><div><br /></div><div>इसके बाद वडिंगटन ने चारों तरफ से रानी की सेना पर धावा बोला। कई दिनों तक रानी की सेना और अंग्रेजी सेना में युध्द चलता रहा जिसमे रीवा नरेश की सेना अंग्रेजों का पहले से ही साथ दे रही थी। रानी की सेना बेशक थोड़ी सी थी लेकिन युध्द में अंग्रेजी सेना की चूलें हिला के रख दी थी। इस युध्द में रानी की सेना के कई सैनिक हतायत हुए और रानी को खुद बाएं हाथ में गोली लगी, और बन्दूक छूटकर गिर गयी। अपने आप को चारों ओर से घिरता देख वीरांगना अवंतीबाई लोधी ने रानी दुर्गावती का अनुकरण करते हुए अपने अंगरक्षक से तलवार छीनकर स्वयं तलवार भोंक कर देश के लिए बलिदान दे दिया।</div><div><br /></div><div><br /></div><div></div>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-20529653154095013652022-01-29T13:45:00.000+05:302022-01-29T13:45:01.838+05:30बुलंदशहर काला आम चौराहा <p> </p><h1 style="text-align: left;"><span style="font-family: arial;"><u><span style="color: #ff00fe;">काला आम चौराहा ( बुलंदशहर)</span></u></span></h1><h2 style="text-align: left;">काला आम चौराहा, जिसका आम-रूपी शिल्प एक ऐसे आम्रवृक्ष का प्रतीक है जहाँ स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों को फांसी दी जाती थी.</h2><div>बुलंदशहर। 1857 के गदर में आजादी के मतवालों को अंग्रेज पकड़-पकड़ कर मौत के घाट उतार रहे थे। ऐसे में बुलंदशहर के वो लोग जो आजादी के आंदोलन से किसी भी प्रकार जुड़े हुए थे, उन्हें कत्ल कर दिया गया। जो लोग कम्पनी राज के खिलाफ आवाज उठाते थे, उन्हें चौराहे पर स्थित एक आम के पेड़ पर लटककर उन्हें फांसी दे दी जाती थी। सैकड़ों क्रांतिकारियों को यहां कत्ल कर दिया गया। इसी कारण आने वाले वक्त में यह जगह 'कत्ले आम चौक' और बाद में 'काला आम' के नाम से जानी गयी।</div><h3 style="text-align: left;">काला आम का असली नाम नही जानते लोग .</h3><div>काला आम नाम से जानने वाले चौक का असली नाम कत्ले आम है </div><div>जिसको बदल कर अब काला आम कर दिया गया है</div><h3 style="text-align: left;"><br />क्या कहते हैं इतिहास के जानकार-</h3><div>इतिहास के जानकार हरी अंगिरा बताते हैं कि इस आजादी के लिए भारत माता के बेटों ने कितनी यातनाएं व जुल्में सहा था, इसका हिसाब करना मुश्किल है। जालिमों ने जान भी ली तो तड़पा-तड़पा कर। वे उन पलों को याद भी नहीं करना चाहते। उन्होंने बताया कि भारत माता के लालों को पहले तो बर्बरता से कठोर यातना दी जाती थी। उसके बाद उन्हें फांसी पर लटकाया जाता था। साथ ही कोडे भी बरसाए जाते थे। क्रांतिकारी उस वक्त भी 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाते रहते थे। कई दिनों तक पेड़ से उनकी लाश लटकी रहती थी। अंग्रेज इस तरह से सामूहिक फांसी देकर लोगों को आतंकित भी करते थे ताकि देशभक्ति की डगर पर चलने से पहले लोग सौ बार सोचें। कम से कम इतिहास तो यही बताता है कि अंग्रेजों का ये भयंकर जुल्म आज़ादी के मतवालों की दीवानगी रोकने में बिलकुल नाकाम रही.</div><div><br /></div><div>स्वतंत्रता संघर्ष से लेकर आजादी मिलने तक बुलंदशहर ने आजादी की लड़ाई में पूरे दम-खम से भाग लिया। 10 मई 1857 को देश की आजादी की प्रथम जंग शुरू हुई। क्रांति का सर्वप्रथम संदेश लेकर अलीगढ़ से बुलंदशहर पंडित नारायण शर्मा 10 मई को आए थे और उन्होंने गुप्त रूप से नवीं पलटन को क्रांति की प्रेरणा दी थी। बुलंदशहर जिले में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल वीर गूजरों ने फूंका। दादरी और सिकंदराबाद के क्षेत्रों के गुर्जरों ने विदेशी शासन का प्रतीक डाक बंगलों, तारघरों और सरकारी इमारतों को ध्वस्त करना प्रारंभ किया।</div><div>सरकारी संस्थाओं को लूटा गया और इन्हें आग लगा दी गई। एक बार नवीं पैदल सेना के सैनिकों ने 46 क्रांतिकारी गूजरों को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया था। इससे क्रांति की आग और भड़क उठी। अंग्रेज विचलित हो उठे। क्रांति का दमन करने के लिए उन्होंने दमन करने के लिए बरेली से मदद मांगी लेकिन नकारात्मक उत्तर मिला। रामपुर नवाब भी घुड़सवार नहीं भेज सके। सिरमूर बटालियन की दो फौजी टुकड़ियां, जिनके आने की पूर्ण आशा थी, वे भी न आ सकीं। जनरल डीवट को मेरठ का सरकारी खजाना भेजने के लिए कुछ यूरोपियन सैनिक भेजने का जो आग्रह किया गया था, वह भी पूर्ण नहीं न हो सका।</div><div><br /></div><div>बुलंदशहर के अंग्रेज अधिकारियों के लिए चारों तरफ निराशा छाई हुई थी। इसी बीच क्रांतिकारियों ने 21 मई 1857 को अलीगढ़ से बुलंदशहर तक इलाके को अंग्रेजी शासन से मुक्त करा दिया। हालांकि 25 मई को अंग्रेजों ने फिर से कब्जा कर लिया। बुलंदशहर नगर से करीब 8 किलोमीटर दूर मालागढ़ के नवाब वलीदाद खां उस समय भी अपनी अलग प्रभुसत्ता बनाए हुए थे और अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के काफी करीबी और वफादार थे। क्रांति का साथ देने वह वह दिल्ली से चलकर 14वां रिसाला झांसी की 12वीं पलटन और छह तोपों को लेकर बुलंदशहर आ गए। 31 मई 1857 को उन्होंने बुलंदशहर पर अधिकार कर लिया और दिल्ली में सैनिकों ने बहादुर शाह जफर को सम्राट घोषित कर दिया। 31 मई से 28 सितंबर तक बुलंदशहर अंग्रेजी दासता से मुक्त रहा। इस बीच स्थिति तेजी से बदलने लगी। आसपास के कई जमींदार अंग्रेजों से जा मिले। लड़ाई में नवाब की सेना का काफी नुकसान हो गया था। नवाब ने बहादुर शाह जफर से घुड़सवार, तोप, गोला-बारूद मांगे, पर बादशाह के पास इतनी शक्ति कहां थी। अंग्रेज इस बीच मेरठ छावनी को मजबूत करने में जुट गए।</div><div>24 सितंबर को ले. कर्नल ग्रीथेड के नेतृत्व में विशाल सेना गाजियाबाद के रास्ते बुलंदशहर को कूच की। 28 सितंबर को इस बुलंदशहर में आजादी के चाहने वाली सेना और अंग्रेजी सेना में घमासान युद्ध् हुआ। अंग्रेज विजयी हुए और बुलंदशहर पर फिर से अधिकार कर लिया। इसके बाद बुलंदशहर अंग्रेजों के आंख पर चढ़ गया और चुन-चुन कर क्रांतिकारियों का कत्ल किया जाने लगा। वर्ष 1857 से 1947 के दौरान काला आम कत्लगाह बना रहा। इस दौरान हजारों क्रांतिकारी को यहां फांसी दी गई। अब काला आम की सूरत बदल गई है। आजादी के बाद लोगों ने सरेआम कत्ल के गवाह रहे इन पेड़ों को कटवा दिया। ये पेड़ लोगों को अखरते थे। काला आम चौराहे के बीचोंबीच यहां प्रशासन द्वारा शहीद पार्क बनाया गया। अब काला आम चौराहा बुलंदशहर का हृदय कहा जाता है।</div><div> </div><div><span style="color: #38761d;"><br /></span></div><div><span style="color: #38761d;">ये जानकारी आपको कैसी लगी हमें कॉमेंट में जरूर बताए</span></div><div><span style="color: #38761d;"><br /></span></div><div><br /></div><div>बुलंदशहर का इतिहास जानने के लिए <a href="https://likehistoryorfact.blogspot.com/2022/01/history-of-bulandshahr.html" rel="nofollow" target="_blank">click</a> करें</div><div><br /></div><div><br /></div><div><br /></div>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com0Bulandshahr, Uttar Pradesh 203001, India28.406963 77.84982920.0967291638211556 42.6935792 56.717196836178843 113.0060792tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-45130854150231942482022-01-28T23:24:00.000+05:302022-01-28T23:24:53.920+05:30History of Bulandshahr<p><br /></p><p><br /></p><h1 style="text-align: left;"><u><span style="color: #04ff00;">बुलंदशहर की हिस्ट्री </span></u></h1><p>बुलंदशहरका प्राचीन नाम बरन था। इसका इतिहास लगभग 1200 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना अहिबरन नाम के राजा ने की थी। बुलन्दशहर पर उन्होंने बरन टॉवर की नींव रखी थी। राजा अहिबरन ने एक सुरक्षित किले का भी निर्माण कराया था जिसे ऊपर कोट कहा जाता रहा है इस किले के चारों ओर सुरक्षा के लिए नहर का निर्माण भीथा जिसमें इस ऊपर कोट के पास ही बहती हुई काली नदी के जल से इसे भरा जाता था। ब्रिटिश काल में यहाँ राजा अहिबरन के वंशज राजा अनूपराय ने भी यहाँ शासन किया जिन्होंने अनूपशहर नामक शहर बसाया। उनकी शिकारगाह आज शिकारपुर नगर के रूप में प्रसिद्ध है। मुगल काल के अंत और ब्रिटिश काल के उद्भव समय में जनपद में ही मालागढ़ रियासत, छतारी रियासत व दानपुर रियासत की भी स्थापना हो चुकी थी जिनके अवशेष आज भी जनपद में विद्यमान है। दानपुर रियासत का नबाब जलील खान था और छतारी रियासत ब्रिटिश परस्त रही। कहा जाता है कि पांडव भी बुलंदशहर के आहार में कुछ दिन रहे थे।</p><p>बुलन्दशहर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के ठीक पश्चिम में स्थित है। पूर्व में गंगा नदी व पश्चिम में यमुना नदी इसकी सीमा बनाती है। बुलन्दशहर के उत्तर में मेरठ तथा दक्षिण में अलीगढ़ ज़िले हैं। पश्चिम में राजस्थान राज्य पड़ता है। इसका क्षेत्रफल 1,887 वर्ग मील है। यहाँ की भूमि उर्वर एवं समतल है। गंगा की नहर से सिंचाई और यातायात दोनों का काम लिया जाता है। निम्न गंगा नहर का प्रधान कार्यालय नरौरा स्थान पर है। वर्षा का वार्षिक औसत 26 इंच रहता है। पूर्व की ओर पश्चिम से अधिक वर्षा होती है। बुलंदशहर, अनूपशहर, बुगरासी, औरंगाबाद, खुर्जा, पहासु, स्याना, खानपुर, डिबाई, सिकंदराबाद, जहांगीराबाद व शिकारपुर इसके प्रमुख नगर हैं व बुलन्दशहर नगर इस जनपद का मुख्यालय है। बुलंदशहर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिल्ली से ६४ किलोमीटर की दूरी पर बसा शहर है। साथ ही बहती है काली नदी। यह शहर मुखयतः सड़कों से मेरठ, अलीगढ़, खैर, बदायूं, गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद से जुडा हुआ है। बुलंदशहर जनपद के नरौरा में गंगा के किनारे भारत वर्ष में विद्यमान परमाणु विद्युत संयंत्र में से एक विद्युत ताप गृह स्थापित व सुचारू रूप से प्रयोग में है।</p><p><br /></p><p><span style="color: #01ffff;">और अधिक जानकारी के लिए कॉमेंट करें </span></p>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6046416798267864026.post-68639640862289709012022-01-28T22:28:00.004+05:302023-09-03T11:50:35.612+05:30Bulandshahr (dibai, karanvash) history<h1 style="text-align: left;"><i><u><span style="background-color: white; font-family: helvetica; font-size: x-large;"><script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-8485380193500849"</span></u></i></h1><div><i><u><span style="background-color: white; font-family: helvetica; font-size: x-large;"> crossorigin="anonymous"></script></span></u></i></div><h1 style="text-align: left;"><i><u><span style="background-color: white; font-family: helvetica; font-size: x-large;">कर्णवास, उत्तर प्रदेश</span></u></i></h1><div><i><u><br /></u></i></div><h3><span style="font-size: 18.72px;"><span style="font-weight: normal;">कर्णवास</span>, उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले में डिबाई के निकट गंगा तट पर स्थित एक ऐतिहासिक ग्राम है। यह प्राचीन भृगु-क्षेत्र माना गया है जहाँ कल्याणी देवी और कर्ण शिला दर्शनीय तीर्थ हैं। अलीगढ़-बरेली रेलमार्ग से समीप ही स्थित राजघाट रेलवे स्टेशन पर उतर कर यहाँ पहुंचा जा सकता है। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कर्णवास में तपस्या की थी।</span></h3><h3><span style="font-size: 18.72px;"><br /></span></h3><h3><span style="font-size: 18.72px;">महाभारत काल के कर्ण का इस स्थान से सम्बन्ध बताया जाता है, जिसका नामकरण महाभारत के नायक कर्ण के नाम पर किया गया है। राजा कर्ण परोपकार के लिए काफी प्रसिद्ध थे, इसलिए उन्हें ‘दानवीर कर्ण’ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कर्ण ने उस समय हर दिन 50 किग्रा सोना दान किया करते थे। पर्यटक यहां महाभारत काल के देवी कल्याणी मंदिर भी घूम सकते हैं। कर्णवास बुलंदशहर से ज्यादा दूर नहीं हैं और ऑटो रिक्शा व टैक्सी के जरिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।</span></h3><h3><span style="font-size: 18.72px;"><br /></span></h3><h3><span style="font-size: 18.72px;">कर्णवास में गंगा नदी के किनारे ही एक गुरुकुल, इंटर कॉलेज स्थित है एवं दो मुख्य घाट तेरह मन्दिर घाट एवं माता मंदिर घाट स्थित हैं।</span></h3><div><span style="background-color: #04ff00; font-size: 18.72px;"><br /></span></div><div><span style="font-size: 18.72px;"><span face="Roboto, sans-serif" style="background-color: #04ff00; color: #37474f; font-size: medium; letter-spacing: 0.2px;">कोन थे कर्ण जी जानने के लिए कॉमेंट करें </span></span></div>SOCIAL MEDIA SEO AND MARKETING http://www.blogger.com/profile/09619930846223538140noreply@blogger.com1